क्या था समुंद्र के नीचे बसी द्वारका का रहस्य (What was the secret of Dwarka under the sea)
जैसा कि हम सभी जानते है कि श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध का अंत करवाकर धर्म कि स्थापना की जिससे सभी प्राणियों में सामान्य रूप से धर्म का ज्ञान अर्जित हो सके।
श्री कृष्ण ने अनेकों लीलाएं की जैसे अपने माता - पिता को कंश से आज़ाद करवाकर पापी कंश का वध किया गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर धारण किया सारी द्वारका को इंद्र के गुस्से के प्रकोप से बचाया कभी केशव ने कालिया नाग के घमंड को चूर चूर कर दिया तो कभी लीला धर ने अपने ही भाई शिशु पाल की सौ गलतियां माफ करके उनकी इक्सौएकवी गलती पर भारी सभा में अपने सुदर्शन चक्र से उनका सर धड़ से अलग कर दिया इस तरह कृष्ण ने अपने जीवन में कई खेल रचे इसके साथ ही उन्होंने कई युद्ध भी किए।
अब हम बात करते की आखिर कैसे एक ओर द्वारका श्री कृष्ण ने समुंद्र के नीचे बसाई आखिर किस कारण के रहते कृष्ण ने समुद्र के नीचे द्वारका वासियों को बचाने के लिए समुंद्र के नीचे एक किला बना दिया था।अगर कहा जाए कि श्री कृष्ण ने अपने बड़े भाई बलराम के साथ मिलकर समुंद्र के नीचे दूसरा स्वर्ग बसा दिया था तो ये बिल्कुल सही होगा क्योंकि समुंद्र के नीचे बसी दूसरी द्वारका किसी स्वर्ग से कम नहीं थी।
भागवत पुराण के अनुसार कहा जाता की जब यदुवंशियों पर एक ही साथ दो बड़ी विपदा आ गई थी एक तरफ परम बलशाली यमन ने मथुरा को चारो तरफ से घेर लिया था और दूसरी तरफ़ कंस के ससुर बलराम और कृष्ण के साथ युद्ध कर रहे थे तब सबसे चिंता कि बात यह थी कि दोनों ही योद्धा बलशाली थे ऐसे में कृष्ण ने बलराम से कहा कि इस समय यदुवंशियों पर दो बड़ी विपदाएं आ रखी है एक तरफ यमन ने घेर रखा है और दूसरी तरफ कंस के ससुर ने युद्ध का ऐलान कर दिया है।
ऐसे में जरासंध भी लड़ने को आतुर हो रखा है ऐसे में अगर हम दोनों भाई दोसरो से युद्ध करने में लग गए तो जरासंध हम लोगो के भाई बंधुओ को मार डालेगा या फिर वो सबको ले जाकर बंधी बना लेगा ऐसे में कृष्ण ने कहा कि हम ऐसा दुर्ग या किला बनाएगें जिसमें मनुष्य का प्रवेश करना अत्यंत कठिन होगा उस दुर्ग ने हम अपने सगे संबंधियों को पहुंचाकर फिर हम युद्ध करेंगे यह कहकर कृष्ण ने समुंद्र के नीचे एक ऐसा किला बनवाया और उसमे सारी वस्तुएं बिल्कुल अद्भुत थी उस नगर की एक एक वस्तु में विश्वकर्मा का विज्ञान था और वह शिल्पकला से निपुड था और तो ओर उसमे वस्तु शास्त्र के अनुसार बड़ी बड़ी सड़को और गलियों का विभाजन किया गया था उस नगर में ऐसे सुंदर सुंदर देवताओं के वृक्ष सुंदर लताओ से सुजज्जित थे और उस नगर के महल सोने के थे अनाज रखने के लिए भी चांदी की कोठरी बानी होई थे और उस नगर में सभी देवताओं ने थोड़ी थोड़ी अपनी विभूतियां उस नगर में भेज दी और उसके बाद श्री कृष्ण ने अपने सगे संबंधियों को धीरे धीरे करके उस नगर में पहुंचा दिया था और इस नगरी का नाम द्वारका रखा गया ।
जरासंध के युद्ध के पश्चात् कृष्ण और बलराम ने उस नगरी में अपने सभी साथियों सगे संबंधियों को रखा कृष्ण ने द्वारका सिर्फ अपने लोगो की रक्षा के लिए बनाई थी।
इसलिए समुंद्र के नीचे बसी उस नगरी को द्वारका नगरी के नाम से जाना जाने लगा और उस नगरी को भागवत पुराण के अनुसार दूसरा स्वर्ग भी कहा जाता है।
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