ब्रह्म पुराण क्या है? (What is Brahma Purana)
ब्रहम पुराण (Brahma Purana) को गणना की दृष्टि से 18 पुराणों में प्रथम माना जाता है। ब्रह्म पुराण में भगवान श्रीकृष्ण (Krishna) को ब्रहम स्वरूप माना गया है। ब्रह्म पुराण में भगवान श्री कृष्ण के चरित्र का निरूपण होने के कारण हि इस पुराण को ब्रह्मपुराण कहा जाता है।ब्रह्मपुराण में कथा के प्रवक्ता स्वयं सृष्टि के रचयिता कहे जाने वाले ब्रह्मा जी हैं, और इस पुराण के श्रोता ऋषि मरीचि हैं। इस पुराण की प्रतिपादित विषय सूर्य की उपासना है। ब्रह्म पुराण (Brahma Purana) ब्राह्मण है, तथा यह धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष को प्रदान करने वाला ग्रन्थ है। यह पुराण वेद तुल्य है। धर्म ग्रंथों के अनुसार ब्रह्म पुराण (Brahma Purana) को जो भी मनुष्य श्रद्धा के साथ पढ़ते हैं, और इसकी कथा को सुनते है वह विष्णु लोक को प्राप्त करते हैं।
What is Brahma Purana
इस पुराण में सृष्टि की उत्पत्ति कैसे हुई? और महाराज पृथु की की कथा वर्णित की गई है। राजा पृथु ने ही इस सृष्टि के आरंभ में पृथ्वी का दोहन करके अन्न आदि पदार्थों को पृथ्वी पर उत्पन्न कर, प्राणियों की रक्षा की थी। तभी इस धरा (धरती) (Earth) का नाम पृथ्वी पड़ा। ब्रह्म पुराण (Brahma Purana) के अनुसार जो मनुष्य परहित अर्थात दूसरे के लिए अपना सर्वस्व दान करता है उसे भगवान (God) के दर्शन अवश्य होते हैं।
एक कथा के अनुसार पर्वतराज हिमालय की पुत्री मां पार्वती भगवान शिव (Shiv) को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या कर रही थी। तभी उन्हें पास के सरोवर में डूब रहे एक बच्चे की करुण पुकार सुनाई पड़ी। जिसे मां पार्वती बच्चे की करुण आवाज सुनकर बच्चे के पास पहुंची,तो देखा बच्चे का पैर ग्राह ने पकड़ रखा था। और बच्चा थर थर कांप रहा था। पार्वती जी ने ग्राह से विनती की कि वह बच्चे को छोड़ दे, तब ग्राह पार्वती जी से बोला कि भगवान ने मेरे आहार के लिए यह नियम बनाया है, की छठे के दिन जो भी तुम्हारे पास आए तो उसे खा लेना। और आज विधाता ने इसे स्वयं मेरे पास भेजा है, तो मैं अपने आहार को कैसे जाने दूं अतः मैं इस बच्चे को नहीं छोड़ सकता, नहीं तो मैं भूखा रह जाऊंगा।
तब पार्वती जी बोली कि ग्राह तुम बच्चे को छोड़ दो, बदले में मैं तुम्हें अपनी तपस्या का पूरा पुण्य दे दूंगी। पार्वती जी की यह बात सुनकर ग्राह मान गया। और उसने बच्चे को छोड़ दीया। मां पार्वती ने संकल्प कर अपनी पूरी जिंदगी भर की तपस्या का पुण्य उस ग्राह को दे दी। मां पार्वती की पूरी तपस्या का पुण्य फल ग्राह पाते ही ग्राह का शरीर सूर्य के समान तेजस्वी हो गया। और वह कहने लगा की देवी तुम अपनी तपस्या का पुण्य फल वापस ले लो मैं तुम्हारे कहने पर ही इस बालक को छोड़ देता हूं। लेकिन मां पार्वती ने इस बात से इंकार कर दिया। बच्चे को बचा कर मां पार्वती बड़ी खुश और संतुष्ट थी। मां पार्वती पुनः अपने आश्रम आकर अपनी तपस्या में बैठ गई। तभी पार्वती जी के सामने भगवान शिव शंकर प्रकट हो गए। और कहने लगे हे देवी तुम्हें अब तपस्या करने की आवश्यकता नहीं है। तुमने जो अपने तपस्या का पुन्य फल ग्राह को दिया था। वह तुमने मुझे ही अर्पित की थी। जिसका फल अब अनंत गुना हो गया है। (What is Brahma Purana)
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